राबड़ी देवी को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने करीब 100 दिन हुए थे कि बिहार में एक और बड़ा नरसंहार हो गया। सालभर के भीतर ये 8वां नरसंहार था। सरकार घिर चुकी थी। BJP-JDU, CM के इस्तीफे पर अड़े थे। कांग्रेस सरकार को घेर रही थी, लेकिन समर्थन वापस लेने को तैयार नहीं थी। दलील ये कि समर्थन वापस लिया, तो सांप्रदायिक ताकतें सत्ता हथिया लेंगी।
नरसंहार सीरीज के 8वें एपिसोड में आज कहानी मियांपुर नरसंहार की, जहां लाइन में खड़ा करके यादवों का कत्लेआम हुआ…
पटना से दक्षिण में करीब 90 किलोमीटर दूर औरंगाबाद जिले का मियांपुर गांव। तारीख 16 जून और 2000 का साल। वक्त रात के 9 बजे। गर्मी का मौसम था, ज्यादातर लोग घर से बाहर थे। कुछ लोग छतों पर टहल रहे थे। कई लोग अभी खेत से लौटे नहीं थे।
एक नहर किनारे 4-5 लड़के बैठकर बातें कर रहे थे। अचानक उन्हें 200-250 लोग दिखे। ‘रणवीर बाबा की जय, रणवीर बाबा की जय’ का नारा लगाते हुए भीड़ तेजी से गांव की तरफ बढ़ रही थी। हाथों में बंदूक, फरसा, तलवार और देसी हथियार।
भीड़ को अपनी तरफ आते देख लड़के भाग निकले। गांव में जाकर हल्ला कर दिए कि रणवीर सेना वाले आ गए हैं। लोग इधर-उधर भागने लगे। जिसको जहां जगह मिली छुप गया। इधर, हमलावरों ने गांव को घेर लिया। अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे।
भीड़ में शामिल 45-50 साल का एक शख्स बोला- ‘पागल हो क्या सब। चुन चुनकर मारना है, समझते क्यों नहीं। तुम लोग तो सब गोली बर्बाद कर दोगे।’
एक हमलावर 10-15 साथियों को लेकर एक घर में घुसा। टॉर्च जलाई, कहीं कोई नजर नहीं आया। अचानक उसे कुछ गिरने की आवाज सुनाई पड़ी। हमलावर फौरन उस तरफ दौड़े। 20-25 साल का एक लड़का अनाज रखने वाले मिट्टी के कोठिला के पीछे छिपा था। जोर-जोर से हांफ रहा था। हमलावरों को देखकर मानो उसके प्राण ही सूख गए।
एक हमलावर ने उसके सिर पर बंदूक की बट से जोर से वार किया। उसका सिर फट गया। खून बहने लगा।
‘@#$%#$% तू बच के कहां जाएगा… चल बाहर चल।’ गाली देते हुए हमलावर लड़के को घसीटते हुए बाहर ले गया। जोर का तमाचा जड़ते हुए पूछा- यहां यादवों के घर किस तरफ हैं?
कांपते हुए लड़का बोला- ‘काका हम नहीं जानते, हम तो दूसरे गांव के हैं।’
हमलावर ने धक्का देकर उसे गिरा दिया और उसकी छाती पर चढ़कर बैठ गया। गर्दन में बंदूक की नोक सटा दी। बोला- ‘सच–सच बता गांव में यादवों के घर किस तरफ हैं?’
लड़के ने हाथ से इशारा कर दिया…
हमलावर नारा लगाते हुए उस तरफ चल पड़े। 10-15 का गुट बनाकर यादवों की बस्तियों में धावा बोल दिया। महिला, पुरुष, बच्चे… जो मिला सबको जबरन उठा लिए। जिसने भागने की कोशिश की, उसे बंदूक की बट से मारकर गिरा दिया, लेकिन किसी को गोली नहीं मारी। एक घंटे के भीतर कुल 60-65 लोगों को दबोच लिया।
अब हमलावरों का कमांडर बोला- ‘सबके हाथ–पैर बांधकर लाइन में खड़ा कर दो। इन ह$#@#$ ने जैसे सेनारी में हमारे लोगों को मारा था, वैसे ही मारना है। बाप के सामने बेटे को और बेटे के सामने बाप को। इनकी औरतों–बच्चों को भी नहीं छोड़ना है।’
हमलावरों ने जाति पूछ–पूछकर लाशें बिछा दीं…
हमलावरों ने हाथ-पैर बांधकर सबको लाइन में खड़ा कर दिया। मूछें ऐंठते हुए कमांडर ने तलवार उठाई। लाइन में सबसे पहले खड़ी एक महिला से पूछा- ‘का नाम है तुम्हारा?’
वो कांपते हुए बोली- ‘दुलारी देवी।’ कमांडर ने चीखते हुए पूछा- जात बताओ, कौन जात हो… लड़खड़ाती जुबान में महिला बोली- हम यादव हैं।
मजा आ गया… कहते हुए कमांडर आगे बढ़ा। लाइन में खड़े हर शख्स से जाति पूछी। 40 साल का एक आदमी बोला- ‘भैया हम दलित हैं। यादव नहीं। छोड़ दो हमको।‘