Monday, October 20, 2025
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बुलंदशहर हिंसा के 38 दोषियों को सुनाई गई सजा, पांच को उम्र कैद और 33 को सात वर्ष का कारावास

बुलंदशहर: स्याना हिंसा एवं तत्कालीन कोतवाल हत्याकांड में लगभग साढ़े छह साल बाद अदालत ने फैसला सुनाया। इसमें इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड के पांच दोषियों को उम्र कैद और हिंसा के 33 दोषियों को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। हिंसा के पांच आरोपितों में भाजपा नेता सचिन अहलावत (भाजपा बीबीनगर मंडल अध्यक्ष) और जिला पंचायत सदस्य योगेश राज का भी नाम शामिल है।

यह है मामला

स्याना कोतवाली के महाव गांव में गोवंशी के अवशेष मिलने पर तीन दिसंबर 2018 को हिंसा और आगजनी हुई थी। बुलंदशहर में आयोजित इज्तमा में गोवंशी के मांस को ले जाने की अफवाह उड़ गई थी। इसके बाद गांव नया बांस, हरवानपुर, चिंगरावठी, महाव आदि गांवों के ग्रामीण एवं हिंदू संगठनों के लोगों ने हंगामा करते हुए बुलंदशहर-स्याना मार्ग पर जाम लगा दिया था। उस दौरान कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार की उन्हीं की सरकारी पिस्टल से हत्या कर दी गई थी।

44 लोगों के खिलाफ दाखिल किया था आरोप पत्र

पुलिस ने 44 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें से पांच लोगों की मौत हो चुकी है, एक बाल अपचारी रिहा हो चुका है। बुधवार को एडीजे-12 गोपाल जी ने दोषियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के आदेश दिए। अदालत ने पांच आरोपितों को इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या का दोषी करार दिया था।

कोतवाल की हत्या के दोषियों में प्रशांत नट पुत्र सुरेंद्र, डेविड पुत्र महीपाल, लोकेंद्र पुत्र वीर सिंह, जोनी पुत्र सुशील कुमार सभी निवासीगण गांव चिंगरावठी थाना स्याना और राहुल पुत्र भीमसेन निवासी गांव हरवानपुर थाना स्याना शामिल हैं।

उन्मादी भीड़ की हिंसा और तत्कालीन स्याना के कोतवाल सुबोध कुमार की हत्या मामले के दोषी प्रशांत नट, जोनी, लोकेंद्र, राहुल और डेविड को एडीजे- 12 के न्यायाधीश गोपाल जी ने आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है। 33 दोषियों को सात-सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। सभी सभी दोषियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।

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