गाजा: में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। महीनों से जारी संघर्ष, लगातार बमबारी और नाकाबंदी के चलते अब वहां भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई है। खाने-पीने की चीज़ें न के बराबर हैं, अस्पतालों में दवाएं खत्म हो चुकी हैं और बिजली-पानी की आपूर्ति बुरी तरह बाधित हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत मानवीय मदद नहीं पहुंचाई गई, तो हजारों लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है, खासकर बच्चों की।
गाज़ा में रहने वाले लोगों का कहना है
कि वे एक वक़्त का खाना जुटाने के लिए भी जद्दोजहद कर रहे हैं। दुकानों में राशन नहीं है, जो थोड़ी-बहुत चीज़ें हैं, उनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। कई इलाकों में भूख से मौत की खबरें भी सामने आई हैं। लोगों को खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है क्योंकि उनके घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं इस बीच इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि गाज़ा में पहुंचने वाली मानवीय मदद को हमास जब्त कर रहा है और आम लोगों तक नहीं पहुंचने दे रहा। नेतन्याहू ने दावा किया कि हमास जानबूझकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने हालात को और भयावह दिखाना चाहता है ताकि इज़रायल पर दबाव बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि इज़रायल सिर्फ हमास को निशाना बना रहा है, लेकिन हमास आम लोगों को ‘मानव ढाल’ की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
दूसरी ओर, फिलिस्तीनी पक्ष और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इज़रायल की ओर से लगातार हो रही बमबारी और गाज़ा की नाकाबंदी ही इस मानवीय संकट की असली वजह है। उनका आरोप है कि इज़रायल जानबूझकर खाने-पीने की आपूर्ति रोक रहा है ताकि लोगों को हथियार डालने पर मजबूर किया जा सके इस बीच अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता लगातार बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस, और कई मानवाधिकार समूहों ने तत्काल युद्धविराम और राहत सामग्री के निर्बाध वितरण की मांग की है। लेकिन जमीन पर अब तक कोई ठोस बदलाव नहीं दिख रहा गाज़ा में भूख अब केवल एक मानवीय संकट नहीं रही, बल्कि यह एक राजनीतिक हथियार बन गई है, जिसके बीच सबसे ज़्यादा पीस रहे हैं — आम लोग, जिनका न कोई देश है, न कोई सुरक्षा।