लखनऊ: लखनऊ की तहज़ीब अब नवाचार की धुन पर गूँज रही है। सत्रह वर्षीय प्रणम्य शुक्ला, जिन्हें संगीत जगत में ‘आर्टेमिस’ के नाम से जाना जाता है, विज्ञान, संगीत और मानवीय संवेदना का ऐसा संगम रच रहे हैं जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुका है कक्षा बारह के इस छात्र ने संघ लोक सेवा आयोग की एन.डी.ए. (द्वितीय) परीक्षा प्रथम प्रयास में उत्तीर्ण कर अनुशासन, एकाग्रता और संकल्प की मिसाल पेश की। साथ ही उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित ऐसे प्रकल्प तैयार किए जो तकनीक को मानवता से जोड़ते हैं।
प्रणम्य ने मिक्सर.०८ नामक एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित संगीत उपकरण विकसित किया है, जो सीमित संसाधनों वाले कलाकारों को उच्च गुणवत्ता की ध्वनि में अपनी कला अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। वे कहते हैं मेरे लिए संगीत स्वतंत्रता का माध्यम है। मिक्सर.०८ का उद्देश्य यही है कि हर कलाकार, चाहे उसके पास संसाधन हों या न हों, अपनी भावनाओं को ध्वनि में ढाल सके वे मुस्कराते हुए कहते हैं हमारी पुरानी पीढ़ी अपने समय को याद करती है। ओम् के माध्यम से मैं उन्हें वही सुकून और अपनापन लौटाना चाहता हूँ।
प्रणम्य विभिन्न संगीत सॉफ्टवेयरों में दक्ष हैं और उनकी रचनाएँ देश-विदेश के मंचों पर सराही जा चुकी हैं। उनका अभियान “साउंड फ़ॉर ऑल” युवाओं को नि:शुल्क विज्ञान, तकनीक और संगीत निर्माण की शिक्षा प्रदान करता है। वे विज्ञान, कला और शिक्षा पर नियमित रूप से लेख लिखते हैं और अपने विचारों से युवाओं को प्रेरित करते हैं प्रणम्य आस्था वृद्धाश्रम और श्रीराम औद्योगिक अनाथालय, अलीगंज में स्वेच्छा से सेवा करते हैं — वहाँ वे बच्चों को शिक्षा देते हैं और बुज़ुर्गों का सान्निध्य निभाते हैं।
वे विद्यालय के शीर्ष छात्र, बहुभाषी वक्ता और विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता हैं। उन्होंने ब्रेकथ्रू जूनियर प्रतियोगिता, शब्द लेखन और निबंध प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त की है। उनके स्थापित संगीत और गणित क्लब शहर के सांस्कृतिक आयोजनों में प्रदर्शन करते हैं। हाल ही में उन्हें आई.आई.एम.यू.एन. २०२५ में ‘श्रेष्ठ प्रतिनिधि’ का सम्मान प्राप्त हुआ प्रणम्य कहते हैं जहाँ भी जाता हूँ लखनऊ की लय मेरे साथ होती है। इस शहर की शालीनता, कविता और संवेदना मेरी पहचान है। वे उस नई पीढ़ी का प्रतीक हैं जो विज्ञान की बुद्धि और संगीत की आत्मा को साथ लेकर चल रही है



