बिहार: विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान पूरे राज्य में आयोजित किया गया, लेकिन चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठते नजर आए हैं। कई जिलों से लंबी कतारें, सुरक्षा व्यवस्था में खामियां और स्थानीय लोगों द्वारा चुनावी दबाव की शिकायतें सामने आई हैं। ग्रामीण इलाकों में मतदाता नदी पार कर या कई किलोमीटर पैदल चलकर मतदान केंद्र तक पहुँचने में सफल हुए, जबकि कुछ लोग मतदान तक नहीं पहुँच पाए।
राजनीतिक दलों और विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दी हैं। बीजेपी के नेताओं ने चुनाव आयोग की व्यवस्था की सराहना की, जबकि विपक्षी दलों ने कहा कि कई जगहों पर *धमकियों और दबाव* की घटनाएँ हुई हैं। वहीं, खासकर महिलाओं को लक्षित करके कुछ जगहों पर *सरकारी खातों में सीधे पैसे भेजे जाने की बात* सामने आई है। बताया गया कि कई महिलाओं के खातों में चुनावी लाभ के तौर पर पैसे ट्रांसफर किए गए, जिसे राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को प्रभावित करने की रणनीति बताया।
विशेषज्ञों का कहना है कि मतदान की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए केवल सुरक्षा बलों की तैनाती ही पर्याप्त नहीं है। प्रशासनिक निगरानी, पारदर्शी प्रक्रिया और मतदाता जागरूकता भी जरूरी हैं। साथ ही, महिलाओं को आर्थिक रूप से प्रभावित करने के इस तरह के कदम *लोकतंत्र और स्वतंत्र मतदान की भावना पर सवाल* खड़े करते हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ महिलाओं ने पैसे मिलने के बाद भी यह कहा कि वे अपने वोट का इस्तेमाल स्वतंत्र रूप से करेंगी, लेकिन कई जगहों पर यह दबाव महसूस किया गया कि पैसे मिलने के बाद उन्हें किसके पक्ष में मतदान करना है पहले चरण के मतदान और महिलाओं के खातों में भेजे गए पैसों के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है। जनता, विश्लेषक और चुनाव आयोग की नजर इस बात पर टिकी हुई है कि बिहार में लोकतंत्र पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से संचालित हो रहा है या नहीं।



