लखनऊ: हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट की शाही ज़री और बहत्तर तोले सोने के अलम से जुड़े अहम मुद्दों पर अफहाम-ए-ज़मा सोसाइटी का सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल मंगलवार को प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद से मिला। सोसाइटी ने दो प्रमुख मांगों का विस्तृत मांग पत्र सौंपते हुए वर्षों से लंबित धार्मिक परंपराओं के सम्मानजनक निर्वहन की गुहार लगाई। प्रमुख सचिव ने इस पर जिलाधिकारी लखनऊ से वार्ता कर समाधान का आश्वासन दिया।हुसैनाबाद ट्रस्ट और दस मोहर्रम (यौमे आशूरा) की शाही ज़री के सम्मानपूर्ण उठान को लेकर लंबे समय से उठती आवाज़ों पर अफहाम-ए-ज़मा सोसाइटी ने एक बार फिर सरकार का ध्यान खींचा है। सोसाइटी का सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल—नवाब मसूद अब्दुल्लाह, डॉ. आगा परवेज़ मसीह, सैयद अली मीसम नक़वी एडवोकेट, सैयद मोहम्मद शान नक़वी एडवोकेट, मोहम्मद अली मदहोश एडवोकेट, जुल्किफी रिज़वी एडवोकेट और श्रीमती मिथलेश सिंह—प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने वर्ष 2023 में प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए पत्र और 8 अगस्त 2023 को प्राप्त निर्देशों का हवाला देते हुए दो सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। सोसाइटी ने पहली मांग रखी कि हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट की शाही ज़री को हर वर्ष सम्मानपूर्वक उठाकर निर्धारित रीति के अनुसार दफन कराया जाए। दूसरी मांग के तहत बहत्तर तोले सोने के अलम को 9 मोहर्रम को स्टेट बैंक के लॉकर से निकालकर विधिवत छोटे इमामबाड़े में सजाने की परंपरा को पुनः लागू करने की बात कही गई। बैठक के दौरान प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर जल्द ही जिलाधिकारी लखनऊ—जो हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट के चेयरमैन भी हैं—से वार्ता कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। सोसाइटी ने स्पष्ट किया कि यदि जिलाधिकारी स्तर पर कोई निर्णायक पहल नहीं की गई, तो मामले की जानकारी पुनः माननीय प्रधानमंत्री को भेजी जाएगी। संस्था का कहना है कि इस मुद्दे पर पिछले 14 वर्षों से लगातार शासन-प्रशासन और ट्रस्ट के जिम्मेदारों से पत्राचार, ज्ञापन और मुलाकातें की जाती रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। संस्था ने आशा जताई है कि परंपराओं और धार्मिक आस्था से जुड़े इस विषय पर सरकार जल्द सकारात्मक निर्णय लेगी।



