लखनऊ : क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease – COPD) एक सामान्य, जटिल, रोके जाने योग्य और ईलाज योग्य बीमारी है। यह दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण है। हालाँकि, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (Global Burden of Disease) की रिपोर्ट के अनुसार, यह भारत में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। स्पाइरोमेट्री (Spirometry) द्वारा परिभाषित सीओपीडी का अनुमानित बोझ भारत में 37.6 मिलियन है। इस तथ्य के बावजूद, यह सबसे अधिक उपेक्षित, कम निदान (under diagnosed) और कम इलाज (under treated) की जाने वाली बीमारी की स्थितियों में से एक है।

लखनऊ के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शिव सागर गुप्ता बताते हैं कि सीओपीडी के कुछ सामान्य कारण हैं। जैसे धूम्रपान, वायु प्रदूषण (इनडोर और आउटडोर), विशेष रूप से खाना पकाने से संबंधित बायोमास ईंधन का संपर्क, विभिन्न उद्योगों और रसायनों का व्यावसायिक संपर्क आदि। वे कहते हैं कि सीओपीडी के सामान्य लक्षण साँस लेने में तकलीफ, बलगम वाली खांसी, सीने में जकड़न और कमजोरी हैं।
अधिकांश मामलों में स्पाइरोमेट्री (फेफड़े के कार्य परीक्षण – Pulmonary function test) की मदद से सीओपीडी का निदान करना बहुत आसान है, और कुछ गंभीर मामलों में सीटी थोरेक्स (CT Thorax), आर्टेरियल ब्लड गैस (ABG) और डिफ्यूजन कैपेसिटी ऑफ लंग (DLCO) की आवश्यकता होती है।
सीओपीडी के उपचार में धूम्रपान छोड़ना, इनहेल्ड दवाएं जैसे लॉन्ग एक्टिंग बीटा 2 एगोनिस्ट (LABA), लॉन्ग एक्टिंग मस्कैरिनिक एंटागोनिस्ट (LAMA), इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (ICS), फॉस्फोडिएस्टरेज़ इनहिबिटर, पल्मोनरी पुनर्वास (Pulmonary Rehabilitation), इन्फ्लुएंजा और न्यूमोकोकल टीकाकरण शामिल हैं।



