नई दिल्ली: दिल्ली में भाजपा की सरकार आने के बाद यमुना को स्वच्छ व अविरल बनाने का काम एक बार फिर से शुरू हुआ है। इसका असर भी दिखा है। जनवरी व फरवरी की तुलना में इसमें मल-मूत्र से होने वाले प्रदूषण (फेकल कोलीफार्म) की मात्रा कम हुई है। लेकिन, नदी में गिरने वाले बड़े नालों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इनमें प्रदूषण बढ़ा है। यमुना को स्वच्छ बनाने के लिए इन नालों को साफ करना आवश्यक है और इस दिशा में काम शुरू हो गया है प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी की तुलना में मार्च में यमुना में गिरने वाले नालों की स्थिति खराब हुई है। डीपीसीसी की मार्च में 17 नालों के पानी की गुणवत्ता रिपोर्ट आई है। किसी भी नाले का जैव रसायन आक्सीजन मांग (बीओडी) मानक के अनुरुप नहीं है। सात नालों का यह 100 मिलीग्राम (एमजी) प्रति लीटर से अधिक है। जनवरी में सिर्फ साहिबाबाद और शाहदरा नाले का बीओडी 100 से अधिक था। तय मानक के अनुसार यह 30 से अधिक नहीं होना चाहिए।
कई नालों का रासायनिक ऑक्सीजन मांग में भी वृद्धि
प्रदूषण बढ़ने से सेन नर्सिंग होम नाला, जैतपुर नाला व साहिबाबाद नाला सहित कई अन्य नालों का रासायनिक आक्सीजन मांग (सीओडी) में भी अधिक वृद्धि हुई है। उच्च सीओडी का अर्थ है कि पानी में अधिक कार्बनिक पदार्थ मौजूद हैं, जो पानी में घुलित आक्सीजन (डीओ) को कम और बीओडी को बढ़ाता है। यह जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।