नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं पर लाइफटाइम बैन लगाने की मांग को गैरजरूरी करार दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि 6 साल के लिए डिसक्वालिफिकेशन पर्याप्त है और यह पूरी तरह से संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है केंद्र ने ये दलील सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान दी। दरअसल वकील अश्विनी उपाध्याय ने देश की शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल कर आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए नेताओं पर लाइफटाइम बैन लगाने की मांग की थी।
अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की याचिका
याचिका में ये भी मांग की गई थी कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल मामलों का निस्तारण त्वरित गति से किया जाए। अश्विनी उपाध्याय ने ये याचिका रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 के सेक्शन 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दाखिल की थी।