आंध्र प्रदेश: सत्ता परिवर्तन के बाद एक बार फिर अफसरशाही पर राजनीतिक दबाव और बदले की कार्रवाई के आरोपों की चर्चा तेज़ हो गई है। चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू हुई, जो पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के करीबी माने जाते थे।
इन्हीं में से एक हैं आईपीएस अधिकारी एन. संजय, जो जगन मोहन रेड्डी के शासनकाल में सीआईडी प्रमुख थे और चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभा चुके हैं। नायडू सरकार के आने के बाद एन. संजय को पहले किसी नई पोस्टिंग से वंचित रखा गया और बाद में उन पर सरकारी फंड के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगाकर उन्हें निलंबित कर दिया गया। आरोप है कि उन्होंने अग्नि-एनओसी वेब पोर्टल और एससी एसटी जागरूकता कार्यक्रमों के नाम पर करोड़ों रुपये की अनियमितता की, जिनमें से अधिकांश काम हुए ही नहीं,
लेकिन भुगतान कर दिए गए। अब एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और हाल ही में उन्होंने कोर्ट में आत्मसमर्पण भी किया, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार से नहीं जुड़ा है, बल्कि राजनीतिक बदले की भावना इसमें प्रमुख भूमिका निभा रही है। खुद जगन मोहन रेड्डी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य में अब ‘कानून का शासन नहीं रहा’ और यह सब कुछ टीडीपी की ‘बदले की राजनीति’ का हिस्सा है। वहीं, चंद्रबाबू नायडू सरकार इसे साफ प्रशासन और जवाबदेही की कार्रवाई बता रही है।