बिहार: बिहार के नालंदा ज़िले के एक गांव में हाल ही में एक बहुत दर्दनाक सड़क हादसा हुआ। इस हादसे में नौ लोगों की जान चली गई। यह हादसा इतना भयानक था कि पूरे इलाके में शोक और ग़ुस्से का माहौल बन गया इसी हादसे के बाद बिहार सरकार के दो बड़े नेता — *ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार* और *हिलसा से विधायक प्रेम मुखिया (कृष्ण मुरारी गांव में पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे। दोनों नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और जेडीयू पार्टी से हैं।
नेताओं का मकसद था कि वे पीड़ित परिवारों को सांत्वना दें, उनका हालचाल पूछें और भरोसा दें कि सरकार उनकी मदद करेगी लेकिन जब वे *मलवां गांव* पहुंचे, तो लोगों का ग़ुस्सा अचानक भड़क गया। वहां मौजूद कई ग्रामीण नेताओं को देखकर नाराज़ हो गए। उनका कहना था कि इतने बड़े हादसे के बाद भी अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है — न कोई मुआवज़ा, न प्रशासन की तरफ से कोई समर्थन।
लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि विधायक प्रेम मुखिया ने पहले भी गांव के लोगों की समस्याओं की अनदेखी की है और सिर्फ चुनाव के समय ही दिखाई देते हैं। कई ग्रामीणों ने कहा कि नेता सिर्फ मीडिया के लिए यहां आए हैं, उन्हें आम लोगों की तकलीफों से कोई मतलब नहीं ये बातें होते-होते माहौल इतना गर्म हो गया कि ग्रामीणों ने नेताओं पर *लाठी-डंडों से हमला कर दिया*। अचानक भीड़ ने नेताओं को घेर लिया और पीछे भागने पर मजबूर कर दिया। कुछ लोगों ने उनके काफ़िले पर पत्थर और ईंटें भी फेंकीं।
स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि मंत्री और विधायक को अपनी जान बचाने के लिए *करीब 1 किलोमीटर तक गांव से भागना पड़ा वो भी पैदल। उनके साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों ने बीच में बचाव करने की कोशिश की, लेकिन वो भी घायल हो गए। एक पुलिसकर्मी को सिर में गंभीर चोट आई है हमले के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात संभाले। गांव को *पुलिस छावनी में बदल दिया गया है*। कई अधिकारी अब वहां तैनात हैं ताकि हालात और ना बिगड़ें। प्रशासन ने इस पूरी घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।
इस घटना से सरकार और प्रशासन दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। विपक्षी दल अब सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि अगर उनके खुद के मंत्री ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता का क्या हाल होगा राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह सिर्फ एक हादसे से जुड़ी नाराज़गी नहीं है बल्कि ये लोगों की लंबे समय से जमा हुई नाराज़गी का नतीजा है लोग नेताओं से सिर्फ बात नहीं, बल्कि कार्रवाई चाहते हैं — और जब उन्हें लगता है कि उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैंतो ग़ुस्सा सड़क पर फूट पड़ता है।
चुनाव भी नज़दीक हैं। ऐसे में यह घटना बहुत गंभीर मानी जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि उनके करीबी नेता इस तरह जनता के ग़ुस्से का शिकार हो रहे हैं फिलहाल प्रशासन ने कहा है कि पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा दिया जाएगा, और घटना में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल ये है कि क्या इससे लोगों का भरोसा लौट पाएगा ये घटना हमें याद दिलाती है कि आम जनता का विश्वास जीतना कितना ज़रूरी है और यह सिर्फ भाषणों से नहीं ज़मीन पर असली काम से ही होता है।