लखनऊ: जनपद के थाना बाजार खाला की पुलिस द्वारा वर्ष 2011 में दर्ज एक गुमशुदगी रिपोर्ट की सही विवेचना न कर गलत शव की बरामदगी दिखाते हुए फैजान अहमद, नुरू, शब्बर व मदार अली नामक चार व्यक्तियों को गिरफ्तार कर हत्या का झूठा आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया था, जिस कारण चारो व्यक्तियों को एक साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा।
विचारण माननीय न्यायालय एडीजे-6 उमाकान्त जिन्दल के न्यायालय में चला। 14 साल के विचारण के बाद फैजान अहमद, नुरू, शब्बर व मदार अली को न्याय मिला और उन्हें दोषमुक्त किया गया।
अभियुक्तगणों के अधिवक्ता विवेक कुमार राय ने बताया कि थाना बाजार खाला की पुलिस की लापरवाही व गलत शव का मिलानकर हत्या जैसे गंभीर प्रकरण में बिना किसी साक्ष्य के एक मुस्लिम लड़के की हत्या के आरोप में किसी हिन्दू के शव का मिलान करने के कारण चार निर्दोष गरीब व्यक्तियों को सालों तक जेल में निरूद्ध उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया गया।
एडवोकेट उद्भव सिंह, राहुल मिश्रा तथा शक्ति मिश्रा ने बताया कि 14 साल तक न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने के उपरान्त आखिरकार निर्दोंषों को न्याय मिला। उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर अत्यधिक विश्वास था, जो और मजबूत़ हुआ है।