बिहार:बिहार की राजनीति में हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। एनडीए के सहयोगी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने एक बड़ा बयान देकर गठबंधन के भीतर सीटों को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। मांझी ने साफ तौर पर कहा है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उनकी पार्टी को कम से कम 20 सीटें दी जाएं। उनका तर्क है कि पार्टी का जनाधार मजबूत है और वह कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकती है। मांझी ने यह बयान एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दिया, जहां उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं दी गईं, तो वे अपने विकल्पों पर विचार करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी पहले भी कई बार गठबंधन की राजनीति में अपनी अहमियत दिखा चुके हैं। 2020 के चुनावों में भी उनकी पार्टी ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन तब उन्हें केवल कुछ ही सीटें दी गई थीं। अब, जब 2025 के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं मांझी ने पहले ही अपनी मांग सामने रख दी है ताकि बातचीत में समय रहते दबाव बनाया जा सके। उनका कहना है कि वह एनडीए के साथ बने रहना चाहते हैं, लेकिन *सम्मानजनक हिस्सेदारी के बिना गठबंधन बेमानी है।
इस बयान के बाद एनडीए, खासतौर पर बीजेपी और जेडीयू, के लिए स्थिति थोड़ी जटिल हो सकती है। सीटों का बंटवारा हमेशा से बिहार की राजनीति में तनाव का विषय रहा है, और अब मांझी की यह मांग गठबंधन में तालमेल की असली परीक्षा बन सकती है। वहीं विपक्ष इस स्थिति पर नजर रखे हुए है, क्योंकि एनडीए में अगर मतभेद खुलकर सामने आते हैं, तो यह उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मांझी की मांग सिर्फ़ सीटों की संख्या को लेकर नहीं है बल्कि यह एक राजनीतिक दबाव की रणनीति* भी हो सकती है जिससे वे भविष्य में गठबंधन की बातचीत में अपनी शर्तें मनवा सकें। अब देखना यह होगा कि बीजेपी और एनडीए के अन्य घटक दल इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।