नई दिल्ली: भारतीय लोकतंत्र में चुनाव केवल राजनीतिक वैधता और नागरिक भागीदारी की आधारशिला नहीं हैं, बल्कि ये देश की उस बुनियाद का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिस पर पूरी व्यवस्था टिकी हुई है इस प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से संपादित कराने के लिए निर्वाचन आयोग जैसी संस्था की प्रमुख भूमिका होती है। हालांकि, वर्तमान में निर्वाचन आयोग खुद सवालों के घेरे में है।
क्या आयोग अपनी स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने में चूक कर रहा है? एक्सपर्ट से जानें इस सवाल का जवाब वाईएस रिसर्च फाउंडेशन ऑफ पॉलिसी एंड एडमिनिस्ट्रेशन के निदेशक डॉ. सुशील कुमार सिंह बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में आयोग पर उठे सवालों ने उसकी साख को दांव पर लगा दिया है। ऐसे में इस संवैधानिक संस्था को आगे बढ़कर अपनी निष्पक्षता का स्पष्टीकरण देना चाहिए और अपनी बिगड़ती छवि को सुधारने के लिए खुलकर सामने आना चाहिए।