नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। वकीलों ने इसे “जिहादी हमला” करार देते हुए इसे भारत की धर्मनिरपेक्षता और एकता पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं।
इस हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए, जिनमें भारतीय और विदेशी पर्यटक शामिल हैं। हमलावरों ने बाईसरान घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि हमलावर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) से जुड़े थे। इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन का सहयोगी संगठन है।
सुप्रीम कोर्ट में इस हमले के विरोध में दो मिनट का मौन रखा गया और मृतकों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही, पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर एक जनहित याचिका भी दायर की गई है, जिसमें पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा उपायों को सख्त करने की मांग की गई है।
इस हमले के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रधानमंत्री ने इसे “नृशंस और अमानवीय कृत्य” बताया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। गृह मंत्री ने इसे “कायरतापूर्ण हमला” करार दिया और पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
इस घटना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पुनरुत्थान और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। स्थानीय लोगों ने भी इस हमले की निंदा की है और शांति की अपील की है।