कोर्ट ने साफ कहा कि अगर कोई इंसान भारत की ज़मीन पर है, तो उसके साथ कानून के हिसाब से ही पेश आना चाहिए। सिर्फ उसका नाम या भाषा देखकर ये फैसला नहीं किया जा सकता कि वो इस देश का है या नहीं। एक और मामला भी सामने आया जिसमें एक गर्भवती महिला को बांग्लादेश भेजने की कोशिश की जा रही थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक पूरी जांच न हो जाए, तब तक उसके साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं हो सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को जवाब देना होगा कि ऐसे मामलों में वो क्या प्रक्रिया अपनाती है और क्या कोई भेदभाव तो नहीं हो रहा।
इसी तरह कोर्ट ने कुछ हफ्ते पहले रोहिंग्या मुसलमानों के मामले में भी सवाल उठाए थे। कोर्ट जानना चाहता था कि ये लोग शरण मांगने वाले हैं या फिर गैरकानूनी तरीके से भारत में घुसे हैं। अगर ये शरणार्थी हैं तो उनके लिए इंसानियत के आधार पर कुछ सुविधा होनी चाहिए, और अगर ये अवैध घुसपैठिए हैं तो सरकार को ये साफ करना होगा कि वो इनके साथ क्या कर रही है। कोर्ट ने पूछा कि क्या इन लोगों को रहने की जगह, साफ पानी, दवा और स्कूल जैसी ज़रूरी चीजें मिल रही हैं?
कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि भारत में रहने का अधिकार सिर्फ उन लोगों को है जो भारतीय नागरिक हैं। अगर कोई गैरकानूनी तरीके से यहां आया है तो सरकार को उसे वापस भेजने का अधिकार है, लेकिन इस काम में इंसानियत और कानून दोनों का ध्यान रखना ज़रूरी है।
इन दोनों मामलों में यानी बंगाली बोलने वाले मज़दूरों और रोहिंग्या के केस में कोर्ट का रुख एक जैसा रहा है। कोर्ट का कहना है कि किसी की भाषा, नाम या धर्म देखकर उसके नागरिक होने का फैसला नहीं किया जा सकता। हर किसी को कानून के मुताबिक मौका मिलना चाहिए कि वो अपने कागज दिखा सके और खुद को साबित कर सके।
अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो इस पूरे मामले पर अपना रुख साफ करे और बताए कि क्या बंगाली बोलना ही किसी को विदेशी मानने की वजह है। साथ ही, रोहिंग्या के मामले में भी सरकार को ये बताना होगा कि वो इनके साथ क्या नीति अपनाएगी और क्या ये लोग किसी तरह की मानवीय मदद के हकदार हैं।
कुल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट का संदेश ये है कि सिर्फ शक या भाषा की वजह से किसी को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता। कानून के हिसाब से जांच-पड़ताल और इंसाफ ज़रूरी है। अब देखना ये है कि सरकार कोर्ट को क्या जवाब देती है और क्या आने वाले समय में इन मुद्दों पर कोई साफ नीति बनाई जाती है।